Wednesday 18 April 2012

5 हाइकू



विचित्र लगे   
रोज होता उत्सव
मधुशाला में

मिटते यहाँ
भेद-भाव सबके
मधुशाला में

आसमान की
रस्सी पर लटके
ये चाँद-तारे   

रोज देखती
रस्सी पर झूलती
जवाँ चाँदनी

रोज सूखती
अलगनी पे देखो
छत पे धूप.

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